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राष्ट्रीय सहारा

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नवोदय टाइम्स

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

नई दिल्ली। विकसित भारत की संरचना लिए समाज को मजहबी और जातीय बंधनों से मुक्त होना होगा. २१वीं सदी की चुनौतियों को स्वीकारते हुए दलित और पिछड़े समाज को अवसर प्रदान करना होगा. तभी सनातन धर्म एकबार फिर दुनिया के मानचित्र पर स्थापित हो सकेगा. उक्त बातें ब्रह्मास्त्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद त्रिवेदी ने  कहीं. बृहस्पतिवार को द्वारका में ब्रह्मास्त्र द्वारा आयोजित मानव धर्म-संसद में बोलते हुए शरद त्रिवेदी ने कहा कि जात-पात के नाम पर राजनीतिक लोगों ने समाज को बाँट दिया है. अनेकता में एकता भारत की मूल संस्कृति रही है. धर्म संसद की अध्यक्षता करते हुए आचार्य सुरेन्द्र धर द्विवेदी जी ने मिथ्या इतिहास को खंडित करते हुए समाज को जोड़ने पर बल दिया. इस अवसर पर पूर्व  सांसद महाबल मिश्र ने कहा कि बुद्धिजीवियों व आचार्यों को समाज को जोड़ने के लिए पहल करने की ज़रुरत है.