चार चरण का चुनाव पार, अबकी बार किसकी सरकार!
चार चरण में जनता अपना जनादेश दे रही है. लोकसभा चुनाव के लिए चौथे चरण में जिन 71 सीटों पर वोट पड़ेंगे, पिछले चुनाव में इन्हीं सीटों के कारण भाजपा को अपने दम पर बहुमत और एनडीए को प्रचंड कामयाबी हासिल हुई थी. तब एनडीए ने इन 71 सीटों में से 56 यानी 79 फीसदी सीटों पर कब्जा किया था. इनमें से 45 भाजपा ने जीती थी. राजग ने यूपी, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, झारखंड और बिहार की 57 में से 55 सीटें जीती थीं. बीजद और टीएमसी को 6-6 तो कांग्रेस के हिस्से महज दो व सपा के हिस्से महज एक सीट आयी थी.
चौथा चरण बनेगा निर्णायक
इस चरण के नतीजे नयी सरकार के गठन में अहम भूमिका अदा करेंगे. सोमवार को 71 सीटों पर होने वाले मतदान के नतीजे राजग के साथ-साथ यूपीए, बीजेडी और टीएमसी के लिए बड़ी चुनौती है.
भाजपा पर पुराना प्रदर्शन दोहराने का दबाव
इस चरण में भाजपा पर दबाव ज्यादा रहा। सत्ता बरकरार रखने के लिए भाजपा को हर हाल में पुराना प्रदर्शन दोहराना होगा, जबकि रेस में बने रहने के लिए कांग्रेस को अपने प्रदर्शन में व्यापक सुधार लाना होगा. ऐसी ही स्थिति क्षेत्रीय दल बीजेडी और टीएमसी के लिए है.
ओडिशा, पश्चिम बंगाल में भाजपा ने पूरा जोर लगाया
बीते चुनाव में इस चरण में भाजपा ओड़िशा में खाली हाथ रही थी. प. बंगाल में महज 1 सीट मिली थी. पार्टी ने इन दोनों राज्यों में सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए सारी ताकत झोंक दी है. पार्टी के लिए सुखद स्थिति इन राज्यों में उसका निर्विवाद रूप से दूसरी ताकत बन जाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इन राज्यों में तूफानी दौरे कर रहे हैं। चौथे चरण में श्रीरामपुर पश्चिम बंगाल की रैली में मोदी ने ममता तरकार पर जमकर हमला बोला.
कांग्रेस का हाल बेहाल
इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का हाल बेहाल है. ऐसा लगता है कांग्रेस चुनाव नतीजों में हार को पहले ही मान चुकी है. चुनाव में बेहद लचर प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस के लिए चौथे चरण का चुनाव करो या मरो की स्थिति वाला है. बीजेडी-टीएमसी के लिए भी ऐसी ही स्थिति है. बीते चुनाव में 71 में से महज दो सीट हासिल करने वाली कांग्रेस के सामने मध्यप्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में अपनी सीटें बढ़ाने की चुनौती है, जबकि बीजेडी और टीएमसी के सामने अपना किला बचाने की चुनौती. दोनों ही राज्यों में भाजपा इन दलों को कड़ी टक्कर दे रही है.
भाजपा के लिए भी चुनौतियां बाकी
अब 3 चरण का मतदान बाकी है और इन तीन चरणों में भाजपा अपनी पकड़ को किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने देना चाहती है, न ही भाजपा 2004 की स्थिति को दोहराते हुए देखना चाहती है इसलिए वो जनता से ज्यादा से वोट करने की अपील कर रही है. दरअसल, 2004 में अटल जी की लहर होने के बावजूद एनडीए सत्ता से बाहर हो गई थी, लेकिन इस बार मोदी लहर और लगभग जीत सुनिश्चित होने के बाद भी भाजपा कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है.