इस मामले पर एक प्रेस विज्ञप्ति में ब्रह्मास्त्र द्वारा अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा गया कि ब्रह्मास्त्र हमेशा से इस बात का पक्षधर रहा है कि आरक्षण का आधार जातिगत नहीं आर्थिक होना चाहिए. जाति आधारित आरक्षण ने समाज के निम्न तबकों का कुछ हित तो नहीं किया है, बल्कि समस्याएँ ही पैदा की हैं. आरक्षण के जातिगत आधार के कारण ही आज यह संकट पैदा हुआ है कि कभी जाट, कभी गुर्जर तो कभी पटेल..जिसे मन करता है आरक्षण की मांग लेकर उठ जाता है. अगर आरक्षण का आधार कुछ समय के लिए आर्थिक हो जाय तो ऐसी समस्याओं से तो निजात मिलेगी ही, समाज के वास्तव में पिछड़े लोगों को आरक्षण का लाभ भी मिल सकेगा. ब्रह्मास्त्र जातिगत आरक्षण के खिलाफ पहले से ही अपना रुख स्पष्ट कर चुका है. विगत १६ अगस्त को ही ब्रहमास्त्र द्वारा सार्वजनिक मंच से विरोध जताया जा चुका है.
ब्रह्मास्त्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शरद त्रिवेदी ने कहा, “हमारे संविधान निर्माताओं ने जिस सोच के साथ जाति आधारित आरक्षण की व्यवस्था की थी, वो सोच अब समय के साथ पुरानी पड़ चुकी है. अब जाति आधारित आरक्षण बस वोट बैंक की राजनीति का औजार भर बनकर रह गया है. इसलिए आवश्यक है कि इसे समाप्त कर इसकी जगह आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की जाय.”
ब्रह्मास्त्र के राष्ट्रीय संयोजक राजीव सिंह ‘गुड्डू’ ने अपनी राय स्पष्ट करते हुए कहा, ”हम जातिगत आरक्षण के खिलाफ शुरू से हैं और इसे ख़त्म कराकर ऐसी व्यवस्था लाने के प्रति प्रतिबद्ध हैं जिसमे किसीके साथ अन्याय न हो.”
ब्रह्मास्त्र की महासचिव श्रीमती रोमिला शर्मा ने भी इस मसले पर अपनी बात रखते हुए कहा, “आज समय की मांग है कि संविधान संशोधन के जरिये आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की जाय. ऐसा करके ही आरक्षण के वास्तविक उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है, अन्यथा अपने वर्तमान स्वरुप में तो यह एक अंतहीन प्रक्रिया बनकर रह जाएगा. पर सवाल तो यह है कि क्या आरक्षण को वोट बैंक का औजार बना चुके हमारे राजनेता यह बदलाव करेंगे ?”
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