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जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था और जाति के आधार पर सरकारी सुविधाओं का लाभ देना गलत है. अमीर और गरीब सभी जातियों में है. अतः समाज में अमीर और गरीब बस दो ही श्रेणी होना चाहिए न कि विभिन्न प्रकार की जाति आधारित श्रेणियां. आरक्षण और सरकारी सुविधाओं का लाभ जाति के आधार पर नहीं देकर आर्थिक आधार पर देना ही आदर्श स्थिति होगी. जाति आधारित आरक्षण व्यवस्था में जाति बिशेष के अमीर लोग भी इसका लाभ ले रहे हैं. नतीजतन कहीं-न-कहीं गरीबों की हकमारी हो रही है, जो गलत है. इससे देश में गरीब सवर्णों की हालत सबसे अधिक दयनीय बनती जा रही है. केंद्र और राज्य की सरकारों को इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए आरक्षण का आधार आर्थिक करने की दिशा में कदम उठाने चाहिए. यह समय की मांग है.