अभी हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च शिक्षा से आरक्षण समाप्त करने की बात कही थी और अब गुजरात उच्च न्यायालय ने अपनी एक सुनवाई में आरक्षण को देश के लिए घातक बताया है. ब्रह्मास्त्र भी लम्बे समय से आरक्षण के वर्तमान स्वरुप को लेकर कुछ ऐसा ही दृष्टिकोण रखता रहा है. ब्रह्मास्त्र का स्पष्ट मत रहा है कि अगर आरक्षण हो तो उसका आधार जातिगत नहीं आर्थिक हो. अब इन लोकतान्त्रिक संस्थाओं द्वारा भी जब आरक्षण को लेकर उपर्युक्त प्रकार की चिंताएं व्यक्त की जाने लगी हैं तो इससे साफ़ होता है कि अब धीरे-धीरे उच्च स्तर पर भी आरक्षण के वर्तमान स्वरुप को विसंगतिपूर्ण माना जाने लगा है जो कि ब्रह्मास्त्र द्वारा लम्बे समय से कहा जा रहा था. इन बातों से छोटी ही सही, पर आशा जगती है कि इस दिशा में कुछ ठोस कदम भी उठाए जाएंगे. बाकी, आरक्षण की इस वर्तमान जाति आधारित व्यवस्था को लेकर ब्रह्मास्त्र की लड़ाई जारी थी, जारी है और तबतक रहेगी जबतक कि इस दिशा में सरकार द्वारा कुछ ठोस कदम नहीं उठाया जाता.
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