लोकतंत्र की विडंबना का उम्मीदवार कन्हैया
लोकसभा चुनाव में अब तीन चरणों का मतदान बाकी है. इस बीच एक सीट की खूब चर्चा हुई और वो है बिहार का #बेगूसराय. चर्चा के केंन्द्र में रहे कन्हैया कुमार जिनपर राजद्रोह का आरोप लगा है.कन्हैया कुमार पर राजद्रोह का मुकदमा चलाने के लिए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 23 जुलाई तक अपना जवाब देने को कहा है.बता दें पुलिस ने इस साल 14 जनवरी को कन्हैया कुमार के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करते हुए कहा था कि वह 09 फरवरी 2016 को जेएनयू में निकाले गए जुलूस का नेतृत्व कर रहा था और उसने राजद्रोही नारों का समर्थन किया था. राजद्रोह का आरोप झेल रहे कन्हैया बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से सीपीआई के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहा है.देश की विडंबना देखिए कि भारत के टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थन करने वाला कन्हैया इसी देश में धौंस के साथ चुनाव लड़ रहा है.
कन्हैया के समर्थन में बड़े-बड़े कथित बुद्धिजीवी भी खुलकर सामने आए.
बॉलीवुड के जेएनयू सपोर्टर
अभिनेत्री,अभिनेता,लेखक,पत्रकार सभी बेगूसराय की जनता से अपील की कि वो इस बार बेगूसराय के बेटे को ही वोट दें. कन्हैया कुमार ने जब बेगूसराय सीट से अपना नामांकन भरा तब जेएनयू के कई टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथी कन्हैया को समर्थन देने आए थे. शेहला राशीद शोरा तो सीधे कश्मीर से आई थी. शेहला हाल ही में पूर्व आईएएस शाह फैसल की पार्टी में शामिल हुई है, ये लोग भारत से आजादी की मांग करते रहते हैं. स्वरा भास्कर भी बेगूसराय में मौजूद थी.
अपनी भाषणों में कन्हैया कुमार कश्मीर में धारा 370 को हटाने का विरोध करता रहता रहा. कन्हैया सेना पर बलात्कार का आरोप लगा चुका है. जिस धरती से राष्ट्रकवि दिनकर ने पूरे देश को राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाया वह वहीं से अनर्गल बातें करता रहा. कन्हैया, सेना के बारे में तब क्यों नहीं बोलता जब कश्मीर में सेना ने रात-दिन एक कर कश्मीरियों की हिफाजत की थी. क्यों पुलवामा हमले पर कन्हैया ने चुप्पी साध रखी थी..?
कन्हैया जब ऐसे आपत्तिजनक बयान देता है तो वह किन मंचों का इस्तेमाल करता है इसे समझना भी जरूरी है. अक्सर कन्हैया कहता है कि वह जाति में विश्वास नहीं करता, तो फिर भूमिहार जाति से आने वाला यह कन्हैया भूमिहार बहुल बेगूसराय से ही क्यों चुनाव लड़ रहा है ? कन्हैया को यह लगता है कि एक भूमिहार होने के चलते जनता उसको वोट करेगी. कन्हैया कुमार ने 1984 में श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में भड़के सिख विरोधी दंगों के लिए कांग्रेस को क्लीन चिट दे दी थी. यही नहीं राहुल गांधी से मिलने के बाद कन्हैया कुमार तो यह कहा कि 1984 के दंगे भीड़ के उन्माद के कारण भड़के थे. जो खुद सत्ता के लिए कभी कांग्रेस का चमचा बन जाता है कभी भ्रष्टाचारी लालू के पैर पकड़ने लगता है उसकी ईमानदारी और विचारधारा पर भला कौन यकीन करेगा.
दरअसल कन्हैया को लेकर सहमति उसकी खुद की पार्टी में नहीं है. अभी हाल ही में इसने पप्पू यादव का समर्थन किया था. वही पप्पू यादव जिसने 90 के दशक में सीपीआई(एम) के सबसे चम्तकारिक नेता अजित सरकार की हत्या करवाई थी. आनन-फानन में सीपीआई को कन्हैया का बचाव करना पड़ा और यह स्टेटमेंट जारी करना पड़ा कि पप्पू यादव जैसे आपराधिक नेताओं का हमने हमेशा से विरोध किया है.
कन्हैया कुमार की ख्याति एक छात्र नेता के तौर पर भले हो गई हो लेकिन सच्चाई ये है कि वह एक आदर्श छात्र भी अभी नहीं बन पाया है. अभी हाल ही में पटना के फुलवारी शरीफ थाने में कन्हैया पर अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगा था. अस्पताल में भर्ती अपनी एक साथी को देखने के लिए कन्हैया ने वार्ड में लोगों से नोकझोंक की. जो ढ़ंग से अभी आदमी नहीं बन पाया है वो नेता खाक बनेगा..! पूर्व में कन्हैया के साथ उनकी पार्टी में काम कर चुके जेएनयू के छात्र जयंत जिज्ञासू ने कन्हैया पर जातिवादी होने, जेएनयू कैंपस में संगठन को बर्बाद करने और कन्हैया पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है.
कन्हैया ने ‘भारत माता की जय’ को लेकर एक विवादित बयान दिया था. कन्हैया ने कहा था वो अपने बीवी बच्चों के नाम ‘भारत माता की जय’ रख देंगे ताकि उन्हें मुफ्त में शिक्षा मिलती रहेगी. दरअसल पूरा देश बेगूसराय की ओर देख रहा है,बेगूसराय की विरासत को देख रहा है. अगर कन्हैया जीत गया तो यह हार सिर्फ दूसरों दलों के प्रत्याशियों की नहीं होगी बल्कि यह हार दिनकर के सपनों की होगी, देश की अखंडता की होगी, सम्मान की होगी.